Friday 24 September 2010

कुछ इधर-उधर की बातें

आओ बच्चों करें आज कुछ इधर-उधर की बातें हम
घर में क्या-क्या होता है और बदला-बदला है मौसम

दादा जी के खर्राटों की आवाजें सुनके बिल्ली आ जाती
दरवाजे के बाहर बैठी वह म्याऊँ-म्याऊँ कर शोर मचाती

होमवर्क करने को तो अकसर गुड्डू जाता है टाल
पर नहीं ऊबता देखकर दिनभर टीवी पर फुटबाल

बादल भी जाने लगते हैं जब बारिश के रुक जाने पर
फूल-पात से झिलमिल बूँदें दूब पे तब जाती हैं झर

झरते है पेड़ों से पत्ते जब पतझर के आ जाने पर
बिखरे सेवों को ले जाती हैं तभी गिलहरी कुतर-कुतर

पर पतझर के आने से पहले तो आने वाली है दीवाली
लक्ष्मी पूजन की सभी सजायें हम सब मिलकर थाली

फिर कुछ दिन बाद मनेगा मिलकर सबका क्रिसमस
ढेरों से उपहार मिलेंगे और गले मिलेंगे सब हँस-हँस

आओ सबसे पहले दीवाली का पूजन कर दिये जलायें
झिलमिल-झिलमिल करे रोशनी सारे बच्चे नाचें-गायें

जी भर के मस्ती सभी उड़ाओ खाओ खूब सभी पकवान
लेकिन फोड़ो कोई पटाखा तो रहना तुम सभी सावधान

तुम सबका भविष्य हो उज्जवल जगमग करे दीप जैसा
अपने घर के दीप तुम सभी सभी भारत चमके तारों जैसा.

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