Friday 24 September 2010

निरीह चिड़िया

एक बार बहुत ही वर्फीले और ठंडे मौसम में आँधी और तूफ़ान भी चल रहे थे. उसी समय सर्दी से बचने के लिये एक चिड़िया दक्छिण की तरफ उड़ रही थी. आँधी में फँसकर वह जमीन पर एक खेत में आ गिरी और बेहोश हो गयी. उसकी देह ठंड के कारण जम सी गयी. कुछ देर बाद वहाँ से एक गाय गुजरी और जहाँ चिड़िया पड़ी थी उसपर गोबर कर दिया, और फिर चली गयी. गोबर की गर्मी पाकर चिड़िया धीरे-धीरे होश में आने लगी और उसे महसूस हुआ की वह गरम बिछौने में लेटीहै और उसके शरीर में गर्मी आ रही है. लेकिन वह इस बात से अनजान थी कि वह गोबर की ढेरी के अन्दर पड़ी हुई है. गर्मी पाकर वह वहाँ इतनी खुश महसूस कर रही थी कि वहीं पर वह काफी देर आराम से पड़ी रही. और फिर अचानक ख़ुशी के मारे गाने लगी. इतने में एक बिल्ली पास से निकली और उसने चिड़िया के गाने की आवाज सुनी तो वह इधर-उधर खोजबीन करने लगी और जब गोबर की ढेरी में से आवाज़ आती सुनाई दी तो उसने गोबर को हटा कर देखा और वहाँ उसे चिड़िया दिखी. उसे देखते ही उसके मुँह में पानी आ गया और वह तुरंत उस चिड़िया को उठा कर उसे झट से खा गयी.
अब इस कहानी से तीन बातों की शिक्षा मिलती है:

1. यदि कोई अनजाने में तुम्हें नुकसान पहुंचाये तो वह इंसान तुम्हारा दुश्मन नहीं होता जैसे की गाय ने चिड़िया पर अनजाने में गोबर कर दिया था.

2. और यदि कोई तुम्हे कभी किसी मुसीबत से निकाले तो हर समय उससे अच्छाई की उम्मीद भी न रखो जैसे की बिल्ली ने निकाला तो चिड़िया को गोबर से किन्तु उसके इरादे कुछ और थे. क्योंकि वह उसे गोबर से निकाल कर खा गयी.

3. और कोई ऐसी मुसीबत की घड़ी हो जहाँ चुप रहने की जरूरत हो तो बच्चों, अपना मुँह बंद रखना चाहिये. यदि चिड़िया ने अपना मुँह बंद रखा होता तो वह बच गयी होती और थोड़ी देर में गोबर में से बाहर आकर उड़ गयी होती.

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