Friday 24 September 2010

जगमग आई दीवाली

फिर से जगमग करती आई
आओ हम त्योहार मनायें
मिलजुल कर सब साथ में हम
दीपावली के दिये जलायें

हँसी-खुशी से सबके घर में
होगा लक्ष्मी जी का पूजन
उलसित होकर करें आरती
और सब मिलकर करें नमन

अन्दर-बाहर, ऊपर-नीचे
टिम-टिम कर दीप जलें
प्रेम-भावना लेकर आओ
हम सब फिर से गले मिलें

मावस की काली रजनी में
दिखता नहीं उजाला जब
दीपक जला-जला कर देखो
कितना उजियारा हो तब

भाग-भाग कर सारे बच्चे
दिये जला कर दिखें निहाल
फोड़ फुलझड़ी और पटाखे
खुशी से वो होते हैं बेहाल

सबके घरों में बनते हैं खूब
इस दिन कितने सारे पकवान
उनको खाते हैं सब मिलजुल
फिर खाते ढेरों से मिष्ठान

चारों तरफ सजावट दिखती
चहल-पहल लगे दूकानों में
प्रेम-भाव से क्लेश दूर हों
अपनों में और अनजानों में

आओ हम सब अपने मन के
मिलजुल दूर करें सब अँधियारे
समझ-बूझ और अपनापन हो
और अंतरमन में भरें उजियारे

आशा की किरणें बनें रोशनी
ना आये निराशा कभी भी पास
करें कामना अच्छाई की और
अपने मन में रखें हम विश्वास.

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