Friday 24 September 2010

कद्दू की कुछ बातें

आओ बच्चों, आज कुछ कद्दू के बारे में बात करें. इन दिनों सर्दी का मौसम आ रहा है और सब्जी-बाज़ार में कद्दुओं का आगमन भी शुरू हो रहा है. वैसे तो कद्दू को सब लोग अधिक पसंद नहीं करते हैं. जैसे की बिचारे चुकंदर की दशा निरीह हो जाती है वैसे ही इसे भी खाने में कुछ लोग संकोच करते हुये नाक-भौं चढ़ाते रहते हैं..खासतौर से बच्चे. तो आइये आज कुछ इसके बारे में बताऊँ और इसकी अच्छाइयों के बारे में भी तो शायद आप लोग इसके बारे में अपनी राय बदल दें.

कद्दू कई तरह के और कई रंग के होते हैं. छोटे-बड़े, लम्बे, हलके या भारी-भरकम भी. और यह कई रंगों में पाये जाते हैं. इनके रंग नारंगी और लाल ही नहीं बल्कि हरे, पीले और सफ़ेद भी होते हैं. इसकी तुलना घिया या तुरई के स्वाद से की जाती है. और अपने भारत में हर प्रांत में लोग इसे अलग नामों से जानते हैं..उत्तर प्रदेश में गंगाफल या सीताफल नाम से भी जाना जाता है.

अफ्रीका में कद्दू काफी छोटे और कई प्रकार के होते हैं. सुना जाता है की सबसे पहले कद्दुओं को मध्य अमेरिका में उगाया गया था. अमेरिका में इसको बहुत पसंद करते हैं और तरह-तरह से बना कर खाते हैं. और वहाँ पर कद्दुओं की पैदावार बहुत होती है. वहाँ के कुछ क्षेत्रों में कद्दुओं का उत्पादन अत्यधिक होता है. अमेरिका में 90% कद्दू की पैदावार तो वहां पर इलिनोइस नाम की एक जगह है वहाँ होती है. हर साल वहाँ कद्दू के सम्मान में तमाम शहरों में बहुत बड़ा उत्सव मनाया जाता है और मेला लगता है. और तमाम तरह से इसका खाने में इस्तेमाल किया जाता है. इंग्लैंड, अमेरिका, न्यूजीलैंड, आस्ट्रेलिया व कुछ अन्य देशों में भी ' हल्लोवीन ' नाम का दिवस अक्टूबर महीने की आखिरी तारीख को मनाते हैं जिसमें कद्दू को तराश कर उसे कभी लालटेन का आकार देकर उसके अन्दर मोमबत्ती जलाते हैं तो कभी उसे किसी भूत-प्रेत की शकल में तराशते हैं. कद्दू से कई प्रकार के केक, पाई, पुडिंग, सूप, बिस्किट आदि बनाते हैं. फिर वह लोग रिश्तेदारों व मित्रों को निमंत्रित करते हैं खाने पर, या पार्टी देते हैं. जाने-पहचाने लोगों में केक व पुडिंग बना कर भेजते हैं. और हाँ, इंग्लैंड व अमेरिका में कद्दू को पम्पकिन कहते हैं.

शताब्दियों पहले ग्रीक के लोगों ने कद्दू को ' पेपोन ' नाम दिया जिसका ग्रीक भाषा में मतलब होता है ' बड़ा खरबूजा '. फिर फ्रेंच लोगों ने इसे ' पोम्पोन ' नाम दिया और इंग्लैंड में ' पम्पिओन ' कहा. किन्तु जब शेक्सपिअर ने अपने उपन्यास ' मेर्री वाइव्स ऑफ़ विंडसर ' में इसका पम्पकिन नाम से जिक्र किया तब से सभी अंग्रेज व अमेरिकन इसे पम्पकिन कहने लगे. और बच्चों आप लोगों ने यदि ' सिंदरैला ' नाम की कहानी सुनी या पढ़ी है तो याद करिये कि उसमें एक बड़े कद्दू की शकल की बग्घी में ही सिंदरैला बैठ कर डांस-पार्टी में गयी थी. है ना?

अब कद्दू के बारे में कुछ विशेष बातें हैं जानकारी के लिये. जैसे कि:

1. इससे कई प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजन बन सकते हैं.

2. इसके बीजों में प्रोटीन और आयरन पाया जाता है और बीजों को भून व छील कर खाते हैं. और खाना बनाते समय भी बीजों का कई तरह से उपयोग किया जा सकता है.

3. इसके अन्दर के गूदे में विटामिन ए व पोटैसियम होता है.

4. इसके फूलों को भी खाया जा सकता है.

5. कद्दू को फलों की श्रेणी में रखा जाता है.

6. इसमें 90 % पानी होता है.

अपने भारत में कुछ लोग तो इसे बहुत प्रेम से खाते हैं. और जब इसका मौसम हो तो इसका भरपूर उपयोग किया जाना चाहिये.
उत्तर भारत में तो इसे कुछ खास पर्वों पर जरूर बनाया जाता है. जैसे की होली-दीवाली पर या फिर व्रत-उपवास के समय भी..सब्जी, हलवा या खीर के रूप में.

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