पानी कितना अनमोल रतन
यह सबका है जीवन-धन
जो प्यासों की प्यास बुझाये
और सूखे पौधों को हर्षाये l
हो छोटा या बड़ा हो कोई
हो रंक कोई या शहंशाह
सभी ही इसकी कीमत जानें
पीकर हो जाते सब ताजा l
जीवन-मरण इसी में होता
इस पर निर्भर सारा संसार
इसकी मिलकर कदर करें हम
जब उपयोग करें हर बार l
जाति-पांति और धर्म भूलकर
हम हर दिन इसके गुन गाते
और डुबकी जो लेते गंगा में
वो मोक्ष सदा को पा जाते l
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