मौसम कितना बदल गया
हर पत्ता दिखता पीला है
आँसू सी बूँदें गिरती रहतीं
सब लगता गीला-गीला है l
टहनी पर चिड़ियाँ बैठीं कांपें
जब सर्द हवा चल पड़ती है
लकड़ी-पत्तों का ढेर लगा
तब आग अलाव में जलती है l
जब कंपित होता अंग-अंग
पशु-पक्षी भी छुप जाते हैं
कुछ इधर-उधर भटक-भटक
आश्रय विहीन रह जाते हैं l
तब खाना संचित करने को
कुछ पक्षी भी नीड़ बनाते हैं
और ढूँढ-ढूँढ तिनके टहनी
सर्दी का समय बिताते हैं l
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