आओ मिलकर दीप उठाकर
साथ चलें
घर-बाहर कर दें रोशन सारा
दीप जलें l
घर-घर में उमंग छाई, आई
फिर बहार
तम दूर करें ज्योति जले, करें
धरती का श्रृंगार l
नूतन आशा से मन हों पावन
अब मिलकर
निर्मलता का दीपक हो प्रज्वलित
सबके अन्दर l
ना हो बैर भावना, ना फैलायें
कोई अशांति
ना कोई नफरत या भेद-भाव
ना मचे क्रांति l
सुख-सौरभ की करें कामना
नभ के तले
जग-जीवन में प्रेम के दीपक
सदा जलें l
आओ हाथों में दीप उठाकर
साथ चलें
घर-बाहर कर दें रोशन सारा
दीप जलें l
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