Monday 5 December 2011

दीप जलें

आओ मिलकर दीप उठाकर

साथ चलें

घर-बाहर कर दें रोशन सारा

दीप जलें l

घर-घर में उमंग छाई, आई

फिर बहार

तम दूर करें ज्योति जले, करें

धरती का श्रृंगार l

नूतन आशा से मन हों पावन

अब मिलकर

निर्मलता का दीपक हो प्रज्वलित

सबके अन्दर l

ना हो बैर भावना, ना फैलायें

कोई अशांति

ना कोई नफरत या भेद-भाव

ना मचे क्रांति l

सुख-सौरभ की करें कामना

नभ के तले

जग-जीवन में प्रेम के दीपक

सदा जलें l

आओ हाथों में दीप उठाकर

साथ चलें

घर-बाहर कर दें रोशन सारा

दीप जलें l

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