रो मत प्यारे मुन्ने जिद नहीं किया करते
छोटी-छोटी बातों पर रोया कभी नहीं करते l
आँखों का तारा है तू घर-भर का है लाडला
रोकर कैसा हाल बनाया कैसा है तू वावला l
चल चलते हैं मेले में दोनों ही मौज उड़ायेंगे
कुल्फी खाकर वापस घर कुछ गुब्बारे लायेंगे l
आलू-टिक्की, पानी-पूरी और कैंडी भी खायेंगे
झूले में जब बैठेंगे तो गला फाड़ चिल्लायेंगे l
अब ना कोई डांटेगा जाकर तू आँसू पोंछ ले
रसगुल्ले भी हम खायेंगे इतना भी सोच ले l
सर्कस में जब जोकर मारेगा सीटी जोर की
सब बच्चों को बाँटेगा गोली वह मीठी-मीठी l
मस्ती करके मेले में हम घर वापस आयेंगे
ढेरों खेल खिलौने भी हम खरीद कर लायेंगे l
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