मस्ती का माहौल है छाया
आजादी का दिवस है आया l
क्षितिज पार सूरज ने झाँका
मधुरिम है गालों की लाली
सावन के रंग बिखर रहे हैं
धरती पर फैली हरियाली l
कण-कण धरती का मुस्काये
फूलों की मुस्कान निराली
पेड़ों में छिपकर कुहुक रही है
कोयलिया हर डाली-डाली l
मस्ती का माहौल है छाया
आजादी का दिवस है आया l
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