Monday, 4 April 2011
नीले पर्वत की तीन बहनों की कहानी
बहुत समय पहले की बात है कि आस्ट्रेलिया के नीले पर्वत पर तीन बहनें रहा करती थीं. उनके नाम थे: मेंही, विम्लाह और गुन्नेदू जिनका पिता एक ओझा था और उसका नाम था त्यावान. वहाँ पर केवल एक प्राणी ऐसा था जिससे सब लोग डरते थे और उसका नाम था - बुनयिप और वह एक बहुत बड़े गहरे गड्ढे के अंदर अपना घर बना कर रहता था.
जब भी त्यावान उस गड्ढे के पास से गुजरता था तो अपनी तीनों बेटियों को एक पहाड़ी दीवार के पीछे एक शिखर पर छोड़ आता था. एक दिन इसी तरह अपनी बेटियों को कहीं जाते समय हाथ हिला कर उसने विदा ली और पहाड़ी से नीचे उतरा. उसी समय पहाड़ी के ऊपर एक बड़ा सा कनखजूरा (शतपद) प्रकट हुआ और मेंही को भयभीत कर दिया. मेंही ने एक बड़ा सा पत्थर उठा कर उस पर फेंका जो पहाड़ी के नीचे लुढक कर नीचे वादी में जाकर चकनाचूर हो गया.
एकदम से उन तीनों बहनों के पीछे की चट्टान खुली और जंगल की सभी चिड़ियाँ, जानवर और परियाँ सभी स्तब्ध रह गये - एक ख़ामोशी सी छा गयी. वह बहनें चट्टान की एक पतली कगार पर ही खडी रह गईं. और तब बुनयिप भी उन डरी हुई बहनों को देखने के लिये हाजिर हो गया. और त्यावान ने जब ये देखा कि बुनयिप उसकी बेटियों के निकट है तो उसने अपनी जादू की हड्डी को अपनी बेटियों की तरफ किया और उन्हें पत्थर में बदल दिया. उसने सोचा कि जब तक बुनयिप वहाँ है तब तक इस तरह से उसकी बेटियाँ वहाँ सुरक्षित रहेंगी और बाद में उसके जाने के बाद उन्हें वापस पहले जैसा कर देगा.
तब बुनयिप ने त्यावान का पीछा किया और जैसे ही त्यावान उसके चंगुल में फँसा वैसे ही त्यावान ने जादू से अपने को ल्यरे नाम की चिड़िया के रूप में बदल लिया. हर कोई सुरक्षित हो गया..लेकिन तभी त्यावान के हाथ से जादू की हड्डी गिर गयी. और जब बुनयिप वहाँ से चला गया तब त्यावान ने उस हड्डी को हर जगह खोजना शुरू किया पर वह उसे नहीं मिली...और आज तक वह उस हड्डी को खोज रहा है.
और तीनों बहनें आज भी उस ऊँची कगार पर से त्यावान को हड्डी ढूँढते हुये देख रही हैं...इस उम्मीद में कि कब वह हड्डी वापस ढूँढ कर लाये और कब वह वापस अपने असली रूप यानि अबोरिजिनल लड़कियों में बदल जायें. अगर उन तीन बहनों की चट्टान की तरफ देखो तो ल्यरे चिड़िया की बोली सुनाई देती है जो अपनी बेटियों को आवाज दे रही है और आज भी अपनी उस जादू की हड्डी को ढूँढ रही है.
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
बहुत सुन्दर कहानी| धन्यवाद|
ReplyDeleteपतली जी, कहानी पढ़ने के लिये आपका भी बहुत शुक्रिया.
ReplyDeleteTasveer dekhkar kahan jiwant ban padi hai..
ReplyDeletebahut hi sundar kahani..
prastuti ke liya aabhar!
कविता जी, कहानी पढ़ने व आपकी सराहना के लिये बहुत धन्यबाद.
ReplyDeleteBahut achhi h kahani h good****
ReplyDelete